आजकल फिल्मों में एक्टिंग से लेकर आइटम डांस तक सबकुछ नायिका के हिस्से में आता है. लेकिन एक ज़माना ऐसा भी था जब नायिकाओं का काम महज हीरो के साथ रोमांस करने भर था. फिल्मों में गीत और नृत्य को दर्शकों तक पहुंचाने का काम हीरोइनों की जगह नृत्य प्रशिक्षित अभिनेत्रियां करती थी जो इन फिल्मों में गेस्ट रोल में हुआ करती थी. कुक्कू, हेलेन, बिंदु, जयश्री टी और पद्मा खन्ना जैसी अभिनेत्रियां इसी श्रेणी थी, जो अपनी ख़ास अदाओं से फ़िल्मी दर्शकों का मनोरंजन करती थी. इन्हीं अदाओं से भरे गानों को आजकल फिल्मों में आइटम डांस के तौर पर प्रयोग किया जाता है. आज हम डालेंगे नजर पद्मा खन्ना के फिल्मी करियर पर…
10 मार्च, 1949 को बनारस में जन्मी पद्मा खन्ना ने 12 साल की उम्र में अपना फ़िल्मी सफर शुरू कर दिया था. उन्होंने भोजपुरी फिल्म ‘भैया’ (1961) में अभिनय किया था. यह उनके एक्टिंग करियर की पहली फिल्म थी. आगे चलकर वो भोजपुरी की पहली फ़िल्म ‘गंगा मैया तोहे पिहरी चढ़इवो’ की नायिका बनी. इसी फिल्म में पद्मा के नृत्य से प्रभावित होकर विजय आनंद ने उन्हें की फिल्म ‘जॉनी मेरा नाम’ के एक डांसिंग सॉन्ग के लिए आमंत्रित किया. हुस्न के लाखों रंग…गीत में थिरकती पद्मा खन्ना को देखते ही रंगीनियत और मदहोशी छा जाती है. फिल्म ‘जॉनी मेरा नाम’ में प्रेमनाथ के साथ ये आइटम सांग करते हुए पद्मा खन्ना ने सोचा भी नहीं होगा कि ये उत्तेजक नृत्य ऑडियंस में तहलका मचा देगा. उनके डांस को दर्शकों की खूब वाहवाही मिली. इसी के साथ पद्मा खन्ना का नाम हिन्दी फ़िल्म जगत में बतौर सह-नायिका और डांसर के रूप में जम गया.
इसके बाद ‘लोफर’, ‘जान-ए-बहार’ और ‘पाकीजा’ जैसी कुछ फिल्मों में उन्हें अभिनय करते देखा गया, लेकिन बॉलीवुड में अगर वे अपने किसी रोल के लिए याद की जाती हैं तो वह है अमिताभ बच्चन के साथ फिल्म ‘सौदागर’ का उनका किरदार. सौदागर की यादगार भूमिका के बावजूद नायिका के रूप में उनका करियर ज्यादा परवान नहीं चढ़ सका. उन्हें ज्यादा तर खलनायिका के रोल ही ऑफर होते थे. जिससे तंग आकर उन्होंने नृत्य को ही अपना लिया और आइटम डांसर के रूप में जम गयी. हालांकि पद्मा खन्ना भोजपुरी फिल्मों की हीरोइन थी, लेकिन हिंदी फिल्मों में भी उन्होंने डांस के जरिए भरपूर योगदान दिया. इसके साथ ही पद्मा खन्ना का नाम हिंदी फिल्मों में बतौर सहनायिका, खलनायिका और एक आइटम डांसर के रूप में जम गया.
उस दौर में जयश्री टी के साथ उनकी जोड़ी को खूब सफलता मिली. फिल्म निर्माता खासकर इन जोड़ी की फरमाइश करते थे. धीरे-धीरे ये जोड़ी फिल्मों की अनिवार्य अंग बनती चलती गयी. पद्मा एक प्रशिक्षित डांसर थी. उन्होंने बिरजू महाराज से कत्थक का बाकायदा प्रशिक्षण भी लिया था. उनके नृत्य में ग्रामीण मादकता की झलक थी, जिसकी वजह उनका डांस दर्शकों को ज्यादा आकर्षित करता था.
उन्होंने करीब 400 फिल्मों में काम किया, जिनमें बीवी और मकान, संघर्ष, दास्तान, हिन्दुस्तान की कसम, रामपुर का लक्ष्मण और सौदागर प्रमुख हैं. बाद में वो इस एकरसता से ऊब गयी और धीरे-धीरे हिंदी फिल्मों से दूरी बना ली. उन्होंने एक बार फिर भोजपुरी फिल्मों का रुख किया और चरित्र अभिनेत्री के रूप में नज़र आने लगी. रामानंद सागर जब ‘रामायण’ का निर्माण कर रहे थे तब उन्हें पद्मा की याद आयी और पद्मा को कैकयी के रोल लिए चुन लिया. कैकई दशरथ की सबसे सुंदर रानी थीं और उनकी सुंदरता का ख्याल रखते हुए ही पद्मा को इस रोल के लिए चुना गया था. इस धारावाहिक ने अपार सफलता हासिल की.
पद्मा खन्ना ने फिल्म निर्देशक जगदीश एल. सिदाना से शादी की थी. बाद में सिडाना और पद्मा खन्ना हमेशा के लिए अमेरिका में जाकर बस गए. वर्तमान में वे न्यू जर्सी, अमेरिका रहनेवाली पद्मा खन्ना इसेलिन में इंडियनिक डांस अकैडमी चला रही हैं.